तरसती निगाहें खामोश जुबां और धड़कती साँसे...ये कैसे खेल हैं मौला
जो पंख तुझको सौप दिए क्यूँ उनपे रंग चढ़ आता है मौला...
तमन्ना बन कर कोई फिर आज मेरी रूह चुराता है मौला...
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be adab saansein aur kufriyat meri...
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