मंगलवार, अप्रैल 28, 2009

नग्न

अँधेरा भी ओढा नफ़ासत भी पहनी
कभी सोच-समझ भी ख़ुद को पहनाया
कपड़े कपड़े होते हैं चमड़ी चमड़ी...

कोई टिप्पणी नहीं: