शनिवार, मार्च 14, 2009

साँसे

मेरी साँसों चलो तुम्हारा उधार चुकाएं हम
मीठे नीम की एक प्याली चाय बन जाएँ हम
घूँट घूँट किसी के लबों को गरम कराये हम
इस बहाने तुम्हे और संग छोड़ आयें हम

मेरी साँसों चलो तुमसे घर का किराया वसूल कर आए हम
अपनी ज़िन्दगी का कुछ मोल लगाए हम
तमान यादों का दस्तरखान बिछाए हम
फिर यादों में जान डालने का जुर्म कराये हम

मेरी साँसों चलो तुम्हे छोड़ जाएँ हम
एक और जिस्म में तुम्हे फूँक आए हम
एक संसर्ग से गोपाल बनाए हम
तेरे मेरे मिलन को एक वज़ह दिलाये हम

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